Saturday, February 7, 2009

मेरा वजूद

दरमियान हो दूरियां कितनी
नजदीकियों के सपने बुन ले
नहीं भरोसा तो न सही
वजूद पे मेरे यकीं कर ले

नज़रों में बस है वीरानी
जो चाहे तू तस्वीर भर ले
नहीं सिमट पाएंगी तेरी खुशियाँ
दिल पे मेरे यकीं कर ले

लाख छुपा इसे सीने मैं
चाहे गिरह से बाँध ले
फिसल जायेंगी हसरतें फ़िर भी
मुक़दर पे मेरे यकीं कर ले

कह न पाया जो कभी
बातों को मेरी तू समझ ले
नहीं भरोसा तो न सही
वजूद पे मेरे यकीं कर ले

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