रस्ता देखते पल पल,
ये संवारे नैन हमारे
भर जाते हैं आजकल,
हैं बावरे नैन हमारे....
खुल जाते हैं अक्सर, जब दिखता है सपना
खुशियों के अम्बर पर ही, सीखा है बरसना
भूल चुके दिन-रैन बन चुके ये मतवारे
भर जाते हैं आजकल...................
छुप जाती इनकी चंचलता,हृदय में जब दुख: आता है
हया मीत बन जाती है, इनको जब कोई भाता है
बिसरा चुके सुख चैन हो रहे ये कजरारे
भर जाते हैं आजकल...................
सूख चुकी तलहटी सारी, बची ना इनमें मदिरा
कैसे इनको झील बनाऊँ, कहाँ से लाऊँ बदरा
उजड़ चुके सब यादों से हो गये ये बंजारे
भर जाते हैं आजकल...................
ये संवारे नैन हमारे
भर जाते हैं आजकल,
हैं बावरे नैन हमारे....
खुल जाते हैं अक्सर, जब दिखता है सपना
खुशियों के अम्बर पर ही, सीखा है बरसना
भूल चुके दिन-रैन बन चुके ये मतवारे
भर जाते हैं आजकल...................
छुप जाती इनकी चंचलता,हृदय में जब दुख: आता है
हया मीत बन जाती है, इनको जब कोई भाता है
बिसरा चुके सुख चैन हो रहे ये कजरारे
भर जाते हैं आजकल...................
सूख चुकी तलहटी सारी, बची ना इनमें मदिरा
कैसे इनको झील बनाऊँ, कहाँ से लाऊँ बदरा
उजड़ चुके सब यादों से हो गये ये बंजारे
भर जाते हैं आजकल...................