Friday, June 19, 2009

मान लो मेरी बात प्रिया

चुन लेना मेरी पलकों से
तुम खुद अपने ख्वाब प्रिया
अब मैं तो ना दे पाऊँगा
वो पहले सा अनुराग प्रिया

दिया था तुझको एक दिन
संभल सका तुमसे ना प्रिया
अब मान ले मेरी बात को
मत व्यर्थ कर प्रयास प्रिया

वो कोमल मन अब कटु हुआ
बचा नही कोई उल्लास प्रिया
प्रस्थितियों के इस भंवर का
हो चला वो ग्रास प्रिया

मद खोजे जैसे मादकता
क्यूँ खोजे मुझ मैं स्व-अक्श प्रिया
इस दुनियादारी की आँधी ने
बदला मेरा भी आकर प्रिया

कौन सुने अब फाग सावन के
जुब चुल्ले मैं ना आग प्रिया
अपने प्रेम की अग्नि को
दो दूसरा कोई आधार प्रिया

कैसे भेजूँ संदेश पाती मैं
जब छाती मैं सब दले दाल प्रिया
तेरे विरह के पल जो गूँथ ले
ढूँढ ले ऐसा कोई फनकार प्रिया

अब रहा मैं ना प्रेमी कोई
अब नही मुझे मैं वो बात प्रिया
मैं कहाँ रहा अब रसिक रूप का
बन गया मैं आदमजात प्रिया

कहना मेरा मान लो तुम
और मेरा करो परित्याग प्रिया
हम कभी नही मिल पाएँगे
कर लो सच ये स्वीकार प्रिया

चुन लेना मेरी पलकों से
तुम खुद अपने ख्वाब प्रिया
अब मैं तो ना दे पाऊँगा
वो पहले सा अनुराग प्रिया

4 comments:

ओम आर्य said...

वो कोमल मन अब कटु हुआ
बचा नही कोई उल्लास प्रिया
प्रस्थितियों के इस भंवर का
हो चला वो ग्रास प्रिया

वैसे आपके सारी बाते आपकी प्रिया को समझ मे आ जानी चाहिये क्योकि सारे तर्क बिल्कुल निश्छल और साफ है जिसमे कोई मिलावट नही है ...........समय समय की ही बात होती है .............पल पल समय बदल रहा है ..............बहुत ही सहज वयानी .........ऊतम रचना

Anonymous said...

saral ji, aapane itane saral man apani bat rakhi hai. mujhe lagata hai agar aapaki priya bhi itane hi saral man ki hongi to aapaki bat samjhkar aur aapake dukhon aur samay paristhiyaon ko samajharak, aapaka sath kabhi bhi nahi chhodengi. Agar aisa hai to aapako bhi unhe jane ko nhai kahana chahiye.

Pokhriya said...

Om Aarya ji bahut Shukriya aapke amulya shabdon ke liye

Pokhriya said...

bahut bahut aabhar nidhi ji jo aapne apna samay meri rachna ko diya aur usey sraha...dhanyawaad