Wednesday, September 15, 2010

खंडित गाथा

यूँ नयनों में उदासी है
ज्यूँ अंतरात्मा प्यासी है
सत्य सुख ये विनाशी है
केवल दुख ही अविनाशी है

आकंठ मम्तव से भरे हुए
हृदय मुरझाए और डरे हुए
कौन कहे जीवन साहसी है
ये वैधव्य सा नहीं मधुमासी है

नीरवता सम यहाँ कोलाहल है
क्षुब्ध जीवन ये हलाहल है
कौन कहे जीवन मृदुभासी है
क्रूर निष्ठूर ये आभासी है

खंडित स्वपनों की गाथा है
हर छण दुख ही साधा है
कौन कहे सुख चौमासी है
ये छणभंगूर ये अलपवासी है

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