हर क्षण व्याप्त है मुझ में
एक गीत का मुखडा
एक गरीब का दुखडा
एक विरह का गान
एक अछूता भगवान्
हर क्षण घेरे रहती है मुझको
एक गहरी निशा
एक दबी हुई उषा
एक अनजानी पहचान
एक कल्पना की उड़ान
हर क्षण बांधे रखती है मुझको
एक अन्तिम अभिलाषा
एक मनुष्य प्यासा
एक अधजली आग
एक सावन का फाग
हर क्षण तोड़ती है मुझको
एक अधखिली कलि
एक मासूम की बलि
एक साथी अनजान
एक रिक्त स्थान
हर क्षण ठुकराता है मुझको
एक पुख्ता किनारा
एक दिलकश सहारा
एक कलवा बादल
एक मनवा पागल
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